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जय जय नारायण नारायण हरी हरीजय जय नारायण नारायण हरी हरी

जय नारायण नारायण जय जय नारायण नारायण जय जय नारायण नारायण हरी हरी जय जय नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरी हरी तेरी महिमा है पर्भु प्यारी प्यारी जय जय नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी जय जय नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी हमने जग में देखा तो पर्भु यही लगा तेरी जग में है भगवान देगा ही देगा देगा ही देगा तेरी जग में है भगवान देगा ही देगा देगा ही देगा मन में सोचा तो ये जाना बिन तेरे यहाँ पर कोई न सागा बिन तेरे यहाँ पर कोई न सागा हम तुझ पे जाये वारी वारी हरी हरी जय जय नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी जय नारायण नारायण जय जय नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी लक्ष्मी नारायण हरी हरी सत्ये नारायण हरी हरी जय जय नारायण नारायण हरी हरी सवामी नारायण नारायण हरी हरी लक्ष्मी नारायण हरी हरी सत्ये नारायण हरी हरी जय जय नारायण नारायण हरी हरी. जय नारायण नारायण जय जय नारायण ना

ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा, तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा

ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा, तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा इक समय की बात बताऊ श्याम भक्त अलबेला था, उसके घर आने जाने वालो का लगता मेला था, प्रेम भाव से हाथ जोड़ कर सब का स्वागत करता था, श्याम के प्रेमी मिल जाये तो उनसे सत्संग करता था, ना जाने किस वेश में बाबा मिल जायेगा, तू ले ले भैया सेल्फी जीवन बन जायगा कार्तिक की ग्यारस की वो रात सुहानी आई है, श्याम जन्मदिन मना रहे है घर में खुशियाँ आई है, जगह जगह से भक्त पधारे बाबा के दरबार में बाबा के कीर्तन की चर्चा होती है संसार में, ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा, तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा, रात के बारा भजते ही इक साधू ने परवेश किया, भोजन करना मुझको उस भक्त को आदेश दिया, हाथ जोड़ कर कहे भक्त महाराज निवेदन करता हु, आसन ग्रहन करे प्रभु जी मैं खुद जा कर के लाता हु, ना जाने किस बेश में बाबा मिल जायेगा, तू लेले भईया सेल्फी जीवन बन जायेगा, थाल सजाया के लाया और साधू के आगे रखा है,. बड़े चाव से साधू ने भोजन को थोडा चखा है, भक्त कहे महाराज काहा से आये कहा को जाना है, मैं तो कहता भोजन करके आज यही सो जाना है,

हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल,

हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, मुकुंद माधव गोविन्द बोल, हरि बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल, हरि बोल

ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है, भगतो का तो दिल दीवाना लगता है,

ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है, भगतो का तो दिल दीवाना लगता है, ऐसे न देखो नजर लग जायेगी, ये कीर्तन की रात दोबारा ना आएगी, ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है, हज़ारो बार है देखा हज़ारो बार सजते हो, मगर क्या बात है कान्हा गज़ब के आज लगते हो, ये सूंदर चेहरा सुहाना लगता है, भगतो का तो दिल दीवाना लगता है, अगर हम दूर से देखे तो कान्हा पास लगते हो, अगर नजदीक से देखे तो कान्हा ख़ास लगते हो, ये तेरा अंदाज पुराना लगता है, भगतो का तो दिल दीवाना लगता है, नजारा देख कर मुझको कोई सपना सा लगता है, नया चेहरा तेरा कान्हा मुझे अपना सा लगता है, बदले गा जल्दी ज़माना लगता है, भगतो का तो दिल दीवाना लगता है, उछालो रंग वनवारी दीवाना आज कर डालो, जरा मुस्का के देखो न नजर के तीर मत मारो, भक्तो के दिल पे निशाना लगता है भगतो का तो दिल दीवाना लगता है, ये सूंदर शृंगार सुहाना लगता है, भगतो का तो दिल दीवाना लगता है ye-sunder-shingar-suhana-lagta-hai

सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा तेरा कुछ न बिगड़े गा तेरा टाबरियां तर जावेगा,

सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा तेरा कुछ न बिगड़े गा तेरा टाबरियां तर जावेगा, सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा कब से द्वार खड़ा है थारे माहरी और निहारो जी, कोई नहीं है संगी साथी थारो इक सहारो जी, श्री चरना की सेवा दे दो भव सागर तर जावेगा, सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा हमारी  के इतनी अर्जी भूल से मत न जाजियो जी, जब भी कोई आफत आवे दौड़ाया दौड़ाया आजो जी, इक नजर माहरे पे कर दो जन्म जन्म गुण गावा गा, सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा तेरा कुछ न बिगड़े गा तेरा टाबरियां तर जावेगा, sir-pe-dono-hath-pher-de-tera-ke-ghat-jaawega

तेरा ही दिया जीवन तुझपे ही लुटाना है, जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है,

तेरा ही दिया जीवन तुझपे ही लुटाना है, जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है, क्या लेकर आये थे क्या लेकर जायेंगे राजा हो रंक सभी इक दिन मर जायेंगे तेरी इस दुनिया में कुछ वक़्त बिताना है जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है ये वक़्त कका पहिया है चलता ही जाता है हम सब तेरे पुतले हैं हमें तू ही नाचता है ये भाव भजन तुमसे मिलने का बहाना है जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है तन की सुंदरता पे इतना इतराते हैं मन मैला है कितना ये देख ना पाते हैं बनकर के राख प्रभु इक दूँ उड़ जाना है जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है रोमी की अर्ज़ी पे तेरी मर्ज़ी हो जाए तुझसे हो मिलान प्यारे तुझ में ही खो जाएँ तुमसे दो बातों का मुझे वक़्त चुराना है जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है तेरा ही दिया जीवन तुझपे ही लुटाना है तेरा ही दिया जीवन तुझपे ही लुटाना है, जो कुछ भी दिया तुमने उसका शुक्राना है, tera-hi-diyan-jeewan-tujhpe-hi-lutana-hai-

बिन पिये नशा हो जाता है जब सुरत देखू मोहन की

बिन पिये नशा हो जाता है जब सुरत देखू मोहन की मनमोहन मदन मुरारी है जन जन का पालनहारी है एह दिल उस पर ही आता है जब....... घुंघराली लट मुख पर लटके कानो में कंडल है छलके जब मन्द मन्द मुस्काता है जब....... अंदाज़ निराले है उनके दुख दर्द मिटाये जीवन के मेरा रोम रोम हर्षाता है जब........ वानी में सरस विवार सरल आंखो में है अंदाज़ उमंग आनन्द नन्द बरसाता है जब........ बिन पिये नशा हो जाता है जब सुरत देखू मोहन की bin-piye-nasha-ho-jaata-hai-jab-surat-dekhu-mohan-ki